28 Sep 2025, Sun

आदि अनादि अनंत अखंड – शिवाष्टक स्तोत्र – Shivashtakam Stotram (Lyrics in Hindi)

आदि अनादि अनंत अखंड शिवाष्टक स्तोत्र

आदि अनादि अनंत अखंड
अभेद अखेद सुवेद बतावै।
अलख अगोचर रूप महेस कौ
जोगी जती मुनि ध्यान न पावै॥

आगम निगम पुराण सबै
इतिहास सदा जिनके गुण गावै।
बड़भागी नर-नारि सोई
जो सांब सदाशिव कौ नित ध्यावै॥1॥

सृजन सुपालन लय लीला हित
जो विधि-हरि-हर रूप बनावै।
एकहि आप विचित्र अनेक
सुबेष बनाए कें लीला रचावै॥

सुंदर सृष्टि सुपालन करि
जग पुनि बन काल जु खाय पचावै।
बड़भागी नर-नारि सोई
जो सांब सदाशिव कौ नित ध्यावै॥2॥

अगुन अनीह अनामय अज अविकार
सहज निज रूप धरावै।
परम सुरम्य बसन-आभूषण सजि
मुनि मोहन रूप करावै॥

ललित ललाट बाल विधु विलसै
रतनहार उर पै लहरावै।
बड़भागी नर-नारि सोई
जो सांब सदाशिव कौ नित ध्यावै॥3॥

अंग विभूति रमाय मसान की
विषमय भुजंगनि कौं लपटावै।
नर-कपाल कर, मुंडमाल गल
भालु-चरम सब अंग उढ़ावै॥

घोर दिगंबर, लोचन तीन
भयानक देखि सब थर्रावै।
बड़भागी नर-नारि सोई
जो सांब सदाशिव कौ नित ध्यावै॥4॥

सुनतहि दीन की दीन पुकार
दयानिधि आप उबारन धावै।
पहुँच तहाँ अविलंब सुदारुन
मृत्यु को मर्म विदारि भगावै॥

मुनि मृकंडु-सुत की गाथा
सुचि अजहुँ विज्ञजन गाइ सुनावै।
बड़भागी नर-नारि सोई
जो सांब सदाशिव कौ नित ध्यावै॥5॥

चऊर चारि जो डोल धतूर के,
बेल के पात औ पानि चढ़ावै।
गाल बजाय कै बोल जो ‘हरहर महादेव’
धुनि जोर लगावै॥

तिनहिं महाफल देय सदाशिव
सहजहि भक्ति-मुक्ति सो पावै।
बड़भागी नर-नारि सोई
जो सांब सदाशिव कौ नित ध्यावै॥6॥

बिनसि दोष दुख दुरित दैन्य
दारिद्र्य नित्य सुख-सांति मिलावै।
आसुतोष हर पाप-ताप
सब निर्मल बुद्धि-चित्त बकसावै॥

असरन-सरन काटि भवबंधन
भव निज भवन भव्य बुलवावै।
बड़भागी नर-नारि सोई
जो सांब सदाशिव कौ नित ध्यावै॥7॥

औढरदानि, उदार अपार
जु नैकु-सी सेवा तें ढुरि जावै।
दमन असांति, समन सब संकट
विरद विचार जनहि अपनावै॥

ऐसे कृपालु कृपामय देव के
यों न शरण अबहीं चलि जावै।
बड़भागी नर-नारि सोई
जो सांब सदाशिव कौ नित ध्यावै॥8॥

आदि अनादि अनंत अखंड – शिव अष्टक स्तुति के बोल (Lyrics in Hindi)

आदि अनादि अनंत अखंड (शिवाष्टक) का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति, नकारात्मकता का नाश, सुख-समृद्धि तथा भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

दुख और दोषों का नाश: पाठ करने से जीवन के दुख, क्लेश, दारिद्र्य और बाधाएँ दूर होती हैं और मन को शांति एवं सुख की प्राप्ति होती है।

आत्मविश्वास में वृद्धि: नियमित जाप से मानसिक रोग, तनाव, भय आदि दूर होकर आत्मविश्वास और उल्लास मिलता है।

भक्ति व मोक्ष: भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं, साथ ही भौतिक सुखों के साथ मोक्ष (मुक्ति) का मार्ग भी सहज हो जाता है।

बुद्धि का विकास: मानसिक शुद्धि, एकाग्रता एवं सकारात्मक चिंतन में मदद मिलती है।

संतान, धन-संपत्ति व आरोग्यता: पाठ करने वालों को योग्य संतान, धन और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।

यह स्तुति नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा, पारिवारिक सुख-शांति, व शिव कृपा हेतु अत्यंत प्रभावशाली है।

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