अक्षय तृतीया, जिसे ‘आखातीज’ भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह दिन अत्यंत पवित्र, शुभ और फलदायक माना जाता है। ‘अक्षय’ का अर्थ होता है – जिसका कभी क्षय न हो, अर्थात इस दिन किए गए पुण्य, दान, और शुभ कार्यों का फल अक्षय (चिरस्थायी) होता है।
✨ धार्मिक महत्त्व
अक्षय तृतीया का सीधा संबंध भगवान विष्णु, भगवान परशुराम और माता लक्ष्मी से है। मान्यता है कि इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। यह दिन त्रेतायुग का प्रारंभ भी माना जाता है। साथ ही, महाभारत काल में पांडवों को अक्षय पात्र इसी दिन मिला था, जिससे वे कभी भूखे नहीं रहे।
💰 धन और निवेश के लिए शुभ दिन
अक्षय तृतीया को स्वर्ण (सोना) खरीदने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। लोग इस दिन गहने, ज़मीन, वाहन आदि की खरीदारी करते हैं, ताकि उनका सौभाग्य और समृद्धि हमेशा बनी रहे। व्यापारी वर्ग के लिए यह दिन नए व्यापार या निवेश प्रारंभ करने के लिए श्रेष्ठ होता है।
🙏 पुण्य और दान का पर्व
अक्षय तृतीया पर व्रत रखना, गंगा स्नान करना, और अन्न, वस्त्र, जल, चंदन, और छाया (छाता, चप्पल आदि) का दान करना विशेष पुण्यदायी माना गया है। यह दिन दूसरों की सेवा, सहयोग और करुणा का प्रतीक है।
🌸 कैसे मनाते हैं यह पर्व
- प्रातः काल गंगा या स्वच्छ जल से स्नान कर पूजा की जाती है।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन कर तुलसी दल अर्पित किया जाता है।
- स्वर्ण या चांदी के सिक्के, गहने खरीदे जाते हैं।
- निर्धनों को भोजन, वस्त्र, और अन्य सामग्री का दान किया जाता है।